प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई)

मरम्मत, नवीनीकरण एवं पुनरूद्धार (आरआरआर)

भारत में तालाबों और झीलों ने पारंपरिक रूप से समुदायों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जल संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2000-2001 की तीसरी लघु सिंचाई जनगणना के अनुसार, देश में 5.56 लाख टैंक और भंडारण हैं जो लघु सिंचाई स्रोतों के रूप में 6.27 मिलियन हेक्टेयर सिंचाई क्षमता का निर्माण करते हैं। 5.56 लाख टैंकों में से 4.71 लाख टैंक उपयोग में हैं, और शेष 0.85 लाख टैंक किसी न किसी कारण से उपयोग में नहीं हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक मिलियन हेक्टेयर सिंचाई क्षमता खो गई है। भूजल सिंचाई प्रणाली के विकास, अपर्याप्त रखरखाव, अतिक्रमण, निर्माण उद्देश्य के लिए भूमि के अवैध परिवर्तन आदि के कारण इनमें से कई जल निकाय अनुपयोगी हो गए हैं। जनवरी 2005 में 300 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ "कृषि से सीधे जुड़े जल निकायों की मरम्मत, नवीनीकरण और जीर्णोद्धार (आरआरआर)" के लिए एक पायलट परियोजना दसवीं योजना (Xth Plan) की शेष अवधि के दौरान कार्यान्वयन के लिए शुरू की गई थी। 0.78 लाख हेक्टेयर के अतिरिक्त सिंचाई क्षमता सृजित करने के लक्ष्य के साथ, 15 राज्यों के 26 जिलों में 1098 जल निकायों के संबंध में योजना को मंजूरी दी गई थी।

जल निकायों के आरआरआर के लिए पायलट योजना की सफलता और जल निकायों से लाभ बढ़ाने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, जल संसाधन मंत्रालय ने जल निकायों की मरम्मत, नवीनीकरण और जीर्णोद्धार (आरआरआर) के लिए राज्य क्षेत्र की योजना दो घटकों के साथ शुरू की - (i) बाहरी सहायता के साथ और (ii) ग्यारहवीं योजना (XIth plan) के दौरान कार्यान्वयन के लिए घरेलू समर्थन के साथ।

घरेलू सहायता से जल निकायों के आरआरआर की योजना के तहत, 1309.16 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत एवं 3.094 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता के 3341 जल निकाय को कवर करने का प्रस्ताव था। बाहरी सहायता से जल निकायों के आरआरआर की योजना के तहत, चार राज्यों अर्थात् ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में 3700 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत एवं 8.25 लाख हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता के 10887 जल निकायों को कवर करने का प्रस्ताव था।

  • बेहतर जल प्रबंधन में समुदायों की क्षमता निर्माण।
  • पर्यटन, सांस्कृतिक गतिविधियों आदि का विकास।